जज्बे को सलाम / एक अधिकारी ने 20 दिन से बच्चे को गोद नहीं उठाया, दूसरी बोलीं- नहाकर ही घर के अंदर जाती हूं, तीसरी आरक्षक ने कहा- बच्चे लिपटने की जिद करते हैं

कोरोनावायरस के संक्रमण से दतिया अब तक सुरक्षित है। ऐसा होने में यहां की मातृशक्ति की भी अहम भूमिका है। महिला पुलिस अधिकारी अपने बच्चों का मोह छोड़कर लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाने में जुटी हैं, ताकि लोग सुरक्षित रहें। यह महिला अधिकारी बच्चों को घर पर सोता छोड़कर ड्यूटी पर आ जाती है। जब वापस जाती हैं तो बच्चे सोते मिलते हैं। भीड़ में जाती हैं, इसलिए संक्रमण का डर भी बना रहता है तो घर पर बच्चों और परिवार से दूरी बनाए रखती हैं।  


20 दिन से मां ने बच्चे को गोद में नहीं उठाया
बड़ौनी थाना प्रभारी भूमिका दुबे का 3 साल का बेटा है। उसे 20 दिन से गोद में नहीं लिया। क्योंकि भूमिका खुद ड्यूटी के दौरान कई लोगों के संपर्क में आती हैं, इसलिए उन्होंने बच्चे से दूरी बना रखी है। भूमिका दतिया पुलिस लाइन में सरकारी आवास मेें रहती हैं। यह बड़ौनी थाना से 12 किमी दूर है। दुबे के अनुसार, वह ड्यूटी के बाद तीन-चार दिन में एक बार रात 11 बजे घर पहुंचती हैं। उस समय बेटा सो जाता है। सुबह ड्यूटी के लिए निकलती हूं तो वह सो रहा होता है। उसे दूर से देख लेती हूं, दुलार करके फिर ड्यूटी पर निकल जाती हूं। चूंकि भीड़ में जाती हूं। इसलिए संक्रमण का डर बना रहता है। बच्चा गोद में आने और मिलने के लिए रोता है परेशान होता है। उसका वजन भी 3 किलो घट गया है, लेकिन ड्यूटी तो ड्यूटी है। वह भी इस संकट के दौर में। 


नहाने के बाद ही घर में प्रवेश करती हूं- कौशल्या भगत 



निर्भया मोबाइल प्रभारी कौशल्या भगत दो पाली में ड्यूटी करती हैं। सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक और शाम 5 से रात 8 बजे तक। भगत के अनुसार, उनके बच्चे बड़े हैं, इसलिए कोरोना को समझते हैं, लेकिन परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है। उन्होंने घर के बाहर बने बाथरूम को अपने लिए फिक्स कर लिया। ड्यूटी के बाद पहले नहाना, कपड़े धोना इसके बाद घर में प्रवेश। यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। बावजूद इसके वह बच्चों से दूर ही रहती हैं। क्योंकि भीड़ में रहना होता है और संक्रमण का खतरा भी।  


बच्चे लिपटने की जिद करते हैं, लेकिन मजबूरर हैं - राजो अहिरवार


 
कॉन्स्टेबल राजो अहिरवार का तीन साल का बेटा है और सात साल की बेटी। राजो ने करीब 15 दिन से बच्चों को गोद में नहीं लिया। राजो के अनुसार, वह जैसे ही रात में घर पहुंचती हैं, बच्चे लिपटने के लिए दौड़ पड़ते है। मेरा भी मन होता है कि बच्चों को लिपटा लूं, लेकिन ड्यूटी से आने के बाद संक्रमण का डर रहता है तो मन को मार लेती हूं। कोरोना से लोगों की सुरक्षा भी जरूरी है, इसलिए मन मारकर रह जाती हूं।



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